“पिता पर पूत नसल पर घोड़ा बहुत नहीं तो थोड़ा-थोड़ा” कुरूक्षेत्र की साढ़ेनौ साल की बेटी एनाया करेगी माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई, सीएम ने हरी झंडी देकर किया रवाना

सुनहरा आँचल न्यूज/कुरूक्षेत्र (पत्रकार विजय सिरोही) ममता सौदा, एक भारतीय एवं झूझंारु खिलाड़ी रही हैं, जिन्होने पढ़ाई के साथ- साथ खेलों में भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया, जिन्हें माउंट एवरेस्ट को 2010 में फतह करने के सफल प्रयास के लिए जाना जाता हैं। पर्वतारोहण खेल के क्षेत्र में उनकी सेवाओं के लिए 2014 में उन्हें भारत सरकार द्वारा देश के चौथे सर्वाेच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। ममता सौदा का जन्म 1 नवंबर 1979, को भारतीय राज्य हरियाणा के कैथल में, गरीब आर्थिक संसाधनों वाले एक दलित परिवार में, तीन लड़कियों और दो लड़कों में सबसे बड़े के रूप में हुआ में उनके पिता, लक्ष्मण दास सौदा जो हरियाणा खाद्य और आपूर्ति विभाग में एक निरीक्षक के रूप में कार्यरत थे का निधन हो गयाऔर उनकी माँ, मेवा देवी, को अपने भाइयों की मदद से परिवार का पालन करना पड़ा। ममता ने अपनी स्कूली शिक्षा कैथल के एक स्थानीय स्कूल से और कॉलेज की पढ़ाई की आरकेएसडी कॉलेज, कैथल से की, जहाँ से उन्होंने स्नातक की उपाधि उच्च श्रेणी से प्राप्त की।, इसके बाद, उन्होंने 2005 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से शारीरिक शिक्षा (एमफिल) में मास्टर डिग्री प्राप्त की, और उसी विश्वविद्यालय के शहीद बाबा दीप सिंह कॉलेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन, हरियाणा में एक व्याख्याता के रूप में कार्यरत हो गई। एवरेस्ट की सफल चढ़ाई के बाद, हरियाणा सरकार ने उन्हें हरियाणा पुलिस बल में शामिल कर लिया। ममता सौदा 11 अगस्त 2010 से हरियाणा पुलिस में जिला पुलिस अधीक्षक के रूप में कार्यरत हैं। ममता का खेलों में तो विशेश रुचि थी ही पर ममता को पर्वतारोहण का शौक था, उनके पिता ने इसके लिये उन्हें काफी प्रोत्साहित भी किया। जल्द ही, ममता ने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का मन बना लिया, जिसके लिए वह उत्तराखंड राज्य के नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग में शामिल हो गई।, इस चढ़ाई परियोजना को शुरू करने से पहले, उन्होंने कुछ अन्य चोटियों को फतह किया। वे आईएमएफ गोल्डन जुबली अभियान टीम की एक सदस्य थी, जिन्होंने जुलाई 2008 में फवारंग चोटी पर चढ़ाई की थी। दो महीने बाद, अक्टूबर में, वह मैक्लॉडगंज में एक अभियान के दौरान, दूसरी टीम के साथ मुन चोटी पर चढ़ाई की। अगस्त 2009 में, उन्होंने एक अखिल महिला टीम के साथ श्री कंठ चोटी का रोहण किया। हम आज भी ममता सौदा जोकि उप-अधिक्षक के पद पर कार्य कर रही है इस पल में हम उन्हे याद क्योकि कर रहे है क्योकि पेड़ हो पौधा बिना जड़ के बिना मिट्टी की पकड़ के खड़ा नही रह सकता उसी तरह हम जिस पल का जिक्र कर रहे है वह भी डीएसपी ममता की ही देन है माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई शुरू करने वाली कुरुक्षेत्र की एनाया 9.5 वर्षीय लड़की जो इस उम्र में पर्वतारोही की कामना कर रही है उस उम्र में बच्चे गुडे-गुड़िया से खेलते है पर सही कहा है किसी ने श्पिता पर पूत नसल पर घोड़ा नहीं बहुत तो थोड़ा-थोड़ाश् एनाया भी उसी बुआ की बेटी है जिस का नाम ममता सौदा है और अब भी पुलिस अधिक्षक के पद पर कार्यारत है। जिसमें उन्ही की तरह से हौसला बुलन्द है जिस को देखते हुये हरियाणा के मुख्य मंत्री माननीय में की यात्रा को मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी हरी झंडी दिखाते हुए उसे शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने मंगलवार को मुख्यमंत्री निवास कबीर कुटीर पर एनाया और 8 वर्षीय आर्यन से बातचीत की। उन्होंने कहा कि यही प्रतिभावान बच्चे भारत को विश्व गुरु का दर्जा दिलाने का काम करेंगे। एनाया के पिता कुरुक्षेत्र निवासी एडवोकेट महेश सौदा ने बताया कि साढ़े नौ वर्ष की आयु में माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई करने वाली एनाया प्रदेश की पहली लड़की है। इसके लिए वह पूरी तरह से तैयार है। उन्होंने कहा कि एनाया और आर्यन 30 अप्रैल से दिल्ली से नेपाल के लिए रवाना होंगे। इसके बाद माउंट एवरेस्ट बेस कैंप की चढ़ाई शुरू करेंगे। माउंट एवरेस्ट बेस कैंप 5364 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और इसकी यात्रा में कई चुनौतियां आती हैं। आर्यन और एनाया ने इसके लिए विशेष प्रशिक्षण लिया है। उन्होंने बताया कि आर्यन पर्वतारोही एवं पुलिस उप अधीक्षक ममता सौदा का बेटा है। इससे पहले भी उसने चार चोटियां फतेह की हैं। इस चढ़ाई को शुरू करने के लिए उन्होंने ऊंचाई पर सांस लेने, ठंडे मौसम में रहने का प्रशिक्षण लिया है और लंबी दूरी की ट्रैकिंग के लिए खुद को तैयार किया है। सामान्य परिस्थिति में बेस कैंप की यात्रा 14 से 16 दिन की होती है, मौसम की खराबी इस यात्रा के समय और लंबा कर देती है। एनाया और आर्यन ने कहा कि उनका लक्ष्य केवल बेस कैंप तक पहुंचना नहीं है, उनका लक्ष्य समाज को नशे के खिलाफ जागरूक करना है। वह लोगों को नशे के खिलाफ जागरूक करने का उद्देश्य लेकर यह यात्रा शुरू कर रहे हैं। इस अवसर पर राजीव, विकास सौदा व मेवा देवी मौजूद रही। और उन्होंने कहा कि एनाया का सपना बहुत बड़ा है ये बिल्कुल अपनी बुआ की तरह सोचती है और एनाया ने कहा कि उनकी यह कोशिश रहेगी के जिस प्रकार उस की बुआ ने अपने परिवार, कोम व भारत का नाम पूरे देश में रोशन किया वो भी यही चाहती है इस मौके एनाया के पिता महेश सौदा ( वकील) व एनाया की मम्मी और उनकी दादी मेवा देवी एनाया पर गर्व जताया है और भगवान से एनाया कामयाब होने की दुवा मांगी है और मेवा देवी व उनके परिवार नेे कहा हमें एनाया की सोच पर गर्व है। एनाया ने यह भी बताया की उनकी बुआ के हौसलों के बार में अक्सर परिवार में बाते होती है और मेरी दादी व मेरा पापा ने मुझे फर्श से अर्श तक कर कहानी सुनाई जिसे सुन कर मैने भी अपना मन अपनी बुआ के लक्ष्य कदम पर चलने का बना लिया ह। कई मौकों पर मोरनी पीक, खुइटेन पीक, इंदरहारा पास और आइलैंड पीक जैसी विभिन्न ऊंचाइयों की अन्य चोटियों पर भी रोहण किया है। उन्होंने माउंट एवरेस्ट अभियान से ठीक पहले, अप्रैल 2010 में इडलैंड (इमजा-त्से) चोटी पर सफलतापूर्वक चढ़ाई किया था।
एवरेस्ट विजय के बाद, ममता ने यूरोप (रूस) के सबसे ऊंचे शिखर माउंट एल्ब्रस का 2012 में रोहण किया।
पुरस्कार और सम्मान
पद्म श्री – भारत सरकार -2014
तेन्जिंग नॉरगे पुरस्कार – भारत सरकार -,2010
नकद पुरस्कार ₹ 2.1 मिलियन – हरियाणा सरकार – इडलेंड (इमजा-त्से) चोटी पर सफल चढ़ाई का प्रमाण पत्र – नेपाल पर्वतारोहण संघ – सन्दर्भ-2010

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!