आधुनिक जीवन में मोबाईल के अधिक प्रयोग के मानव जीवन पर दुष्प्रभाव

कैथल (विजय सिरोही) आधुनिक जीवन में मोबाईल के प्रयोग पर विचार करने से पता चलता है कि आज के युग में मोबाईल टैक्नोलिजी का बहुत ज्यादा प्रयोग हो रहा है जिसका सबसे ज्यादा प्र्रभाव आम लोगो की जिन्दगी में पड़ा है जिस श्रैणी में ज्यादातर विधार्थी आते है मोबाईल ने हम सब की जिन्दगी में एक विशेष स्थान ले लिया है जिस कारण हम अपना दैनिक जीवन का ज्यादातर समय मोबाईल के साथ ही बिताते है जिस कारण हम रात में मोबाईल का प्रयोग बहुत ज्यादा करते है और कम रोशनी में मोबाईल की रोशनी हमारी आंखों पर बहुत ज्यादा प्रभाव डालती है और हमारे आंखो की रैटिना को भी बहुत ज्यादा प्रभावित करती है इस के इलावा मोबाईल मे चलचित्रों को देखने का प्रचलन भी बहुत तेजी से बड़ रहा है इस का प्रयोग सिर्फ जानकारिया खोजने के लिए किया गया था पर आज तेजी से इसका प्रयोग बड़ने से हमारी दिन चर्या बहुत ज्यादा प्रभावित हो रही है हम दिमागी रुप से पूरी तरह मोबाईल पर निर्भर हो गये है सुबह-शाम हमें खाना याद रहे ना रहे पर मोबाईल हमेशा याद रहता है इस आड़ में मोबाईल कम्पनियों की मनमानी और भी ज्यादा बड़ रही है जहां एक और लोगो की ईन्टर नैट में रुचि बडने से मोबाईल रिचार्ज के मनमाने ढग से ग्राहको से वसूली करने लगे है अभी हाल ही में सभी कम्पनियों ने अपने रिचार्ज के पैसे 230 से बडा कर 299 कर दिये है उधर दूसरी और मोबाईल का एक प्रभाव यह भी है कि अक्सर देखा गया के आम लोग गाडी व बाईक चलातें समय भी मोबाईल का प्रयोग बडे धडल्ले से कर रहे है वैसे गाडी व बाईक चलातें समय मोबाईल चलाने पर कानून भी बने हुये पर फिर भी लोगो के हौसल बडे हुये है कि वो खुले आम बाईक और गाडी चलाते समय मोबाईल का प्रयोग करते है उन्हे किसी का डर नही है चाहे किसी की जान भी चली जाये। ऐसे लोगो के चालान भी किये जाने चाहिए जो बाईक व गाडी चलाते समय मोबाईल का प्रयोग धडल्ले से कर रहे है। प्रशासन को इस और भी गंभीरता से ध्यान देना चाहिए।

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